फागुन खिल जाने दो

॥फागुन खिल जाने दो
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रात मदहोश हुई
गीत मचल जाने दो ।
साँसें बेताव हुईं
प्यार में ढल जाने दो ।

क्या पता फिर ये शमा
लौट के आये न आये ।
दिल के गुबार चलो
आज निकल जाने दो ।

स्वप्न सफल होने दो
अरमान पिघल जाने दो ।
तमन्नायें पूरीं हों
आशायें फल जाने दो ।

बासन्ती बयार चली
फागुन खिल जाने दो ।
धरती को गगन से
आज मिल जाने दो ।

प्रेम दीप जल उठा
पतंगे को आने दो ।
सदियों की तड़फ आज
उसकी मिट जाने दो ।

आज नहीं पहरा है
स्वच्छंद चले आने दो ।
भ्रमर को फूलों का
मकरन्द पी जाने दो ।

वर्षों के पुण्य फलित
फल उनका पाने दो ।
पर्दे की ओट से
बाहर आ जाने दो ।

॥॥॥॥॥डाॅ पारदर्शी॥॥॥॥॥

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