भारत के वीर सपूतों

हे! भारत  के  वीर  सपूतों, 
माँ भारती तुम्हें पुकार रही। 
तुम हो  माँ के सच्चे सुपुत्र, 
जन जन ये गीत है गा  रही।।

कर विनाश देश द्रोहियों का, 
जो देश में विष है घोल रहा ।। 
उखाड़ फेंको उनके करों को,
जिन करों से शील फेंक रहा। 

ऐसा  वीर  इतिहास  रचो  तुम,
जैसे दिनकर प्रभा फैला रहा ।
उन दुष्टों को भी सबक सिखाओ,
जो वर्दी पर कलंक लगा रहा ।। 

उन दुश्मनों का भी संहार करो,
जो देश को बांटने को कह रहा।
अपनी   वो   दूषित   सोचों  से, 
जन- जन में कांटों को बौ रहा।।
    
दिखा  दो  उनकी  औकात  को, 
जो भेड़ियों के खाल में है छिपा।
अपने मुल्क का नमक खा कर,
दूसरे मुल्कों का गुण गा रहा ।। 

हे! वीर तुम्हारी पराक्रमों पर,
हम  सब  को  अभिमान  है।।
एक सौ पेंतीस करोड़ जन तुम्हें,
कोटि - कोटि करता प्रणाम है।। 
कुन्दन बहरदार 
०६.०१.२०

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