फागुन खिल जाने दो
॥फागुन खिल जाने दो ॥ ♡♡♡♡♡♡♡♡♡♡ रात मदहोश हुई गीत मचल जाने दो । साँसें बेताव हुईं प्यार में ढल जाने दो । क्या पता फिर ये शमा लौट के आये न आये । दिल के गुबार चलो आज निकल जाने दो । स्वप्न सफल होने दो अरमान पिघल जाने दो । तमन्नायें पूरीं हों आशायें फल जाने दो । बासन्ती बयार चली फागुन खिल जाने दो । धरती को गगन से आज मिल जाने दो । प्रेम दीप जल उठा पतंगे को आने दो । सदियों की तड़फ आज उसकी मिट जाने दो । आज नहीं पहरा है स्वच्छंद चले आने दो । भ्रमर को फूलों का मकरन्द पी जाने दो । वर्षों के पुण्य फलित फल उनका पाने दो । पर्दे की ओट से बाहर आ जाने दो । ॥॥॥॥॥डाॅ पारदर्शी॥॥॥॥॥