इश्क़
......... *इश्क़ *........
इश्क़ में दिल अक्सर इतना बैचेन क्यों रहता है,
अश्क़ तो बहता है पर कुछ क्यों नहीं कहता है।।
जिसके यादों में ये दिल इतना दर्द को सहता है,
फिर भी इन लवों पे बस उसी का नाम रहता है।।
जिसे क़बूल नहीं इश्क़ इसका ये उसी पे मरता है,
उनकी यादों में ये सदा दरिया की तरह बहता है।।
इसे मालूम नहीं एक दिन समंदर में मिल जाना है,
चाहतों में चाहे डूबे जितना इसे वापस तो आना है।।
-Kund@n
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अति सुन्दर
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